राहु यंत्र अनुसंधान, गोला बारूद से संबंधित कारोबार में लाभकारी होता हैं। जिन व्यक्तियों को स्किन संबंधी समस्याएं, मानसिक पीड़ा, स्वप्न में मृत व्यक्तियों का दिखाई देना और मन का दुर्व्यसन की ओर भागना आदि समस्याओं से यह यंत्र निजात दिलाने में सक्षम होता है।
राहु की शांति के लिए श्वेत मलयागिरी चंदन का टुकड़ा नीले रेशमी वस्त्र में लपेटकर बुधवार को धारण करना चाहिए। वहीं केतु की शांति के लिए बुधवार या गुरुवार को अश्वगंध की जड़ का टुकड़ा आसमानी रंग के कपड़े में धारण करना चाहिए, ऐसा करने से दोनों ग्रह शांत होते हैं और अशुभ प्रभाव से भी मुक्ति मिलती है।
पवित्र वेदी, जहां तांबे का राहु यंत्र स्थापित किया गया है, पर एक ताजा फूल या फल का टुकड़ा रखें। इस प्रक्रिया के बाद तांबे के राहु यंत्र को खोलकर अपने इष्ट भगवान के बगल में रखना चाहिए।
एकाक्षरी बीज मंत्र- ‘ॐ रां राहवे नम:। ‘ तांत्रिक मंत्र- ‘ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं स: राहवे नम:।
राहु ग्रह का स्वामी कौन है? राहु को किसी भी राशि का स्वामी नहीं माना गया है, लेकिन माना जाता है कि मिथुन राशि में राहु उच्च का हो जाता है. इसके साथ ही जब राहु धनु राशि में आता है तो ये नीच का माना जाता है. राहु को आद्रा, स्वाति और शतभिषा नक्षत्र का स्वामी माना गया है.
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